मनोज श्रीवास्तव
लखनऊ। लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगे यूपी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. महेंद्रनाथ पांडेय ने अपनी टीम के रिक्त स्थानों की पूर्ति कर दी है। इस टीम की पूर्ति से वह कार्यकर्ता खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं, जिन्होंने किसी को माईबाप बनाने की बजाय पार्टी और विचारधारा के लिए सब कुछ समर्पित कर दिया।
हाल ही में गोरखपुर लोकसभा का उपचुनाव लड़ कर इस पराजित होने वाले तथा इस सीट से भाजपा की दशकों बाद लुटिया डूबो देने वाले उपेंद्र शुक्ला को उपाध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी से 2006 में बगावत करके विधानसभा उपचुनाव लड़ चुके श्री शुक्ल को गोरखपुर लोकसभा सीट हार जाने का पुरस्कार उपाध्यक्ष बनाकर दिया गया है, जबकि कई कर्मठ कार्यकर्ता ताकते रह गए।
इनकी बगावत के चलते 2006 में भाजपा के शीतल पांडेय लगभग ग्यारह हजार वोटों से चुनाव हार गए। जब यह बगावत के बाद पार्टी में वापस लौटे तो इन्हें क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाकर पुरस्कृत कर दिया गया। इससे भी मन नहीं भरा तो इन्हें गोरखपुर सीट से सांसद योगी आदित्यनाथ की मंशा के विपरीत उपचुनाव का प्रत्याशी बना दिया गया।
पूर्व मंत्री पार्टी की दिग्गज नेता रही प्रेमलता कटियार की बिटिया विधायक नीलिमा कटियार को एक बार फिर उपकृत किया गया है। पार्टी ने विधानसभा चुनाव में टिकट देने के बाद अब महामंत्री बनाकर उनको दोहरा पुरस्कार दिया है। एक व्यक्ति एक पद का स्लोगन धराशायी हो गया है। निलिमा की तरक्की उन कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा है, जिनके पास एक भी जिम्मेदारी नहीं है।
दल बदलकर लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी से भाजपा में आये जुगुल किशोर को प्रवक्ता बनाया गया है। भाजपा ने इसके पहले इनके पुत्र सौरभ सिंह को कस्ता सुरक्षित सीट से टिकट देकर विधायक बना चुकी है। अपने पुराने कार्यकर्ता को जगह देने की बजाय पार्टी में दलबदलुओं को प्रमुखता मिल रहा है। पार्टी के इस निर्णय से बिना दल-बदल 25-30 वर्ष से ज्यादा समय से पार्टी के लिए जूझने वाले कार्यकर्ताओं में निराशा और गुस्सा व्याप्त हो गया है।
तमाम नाराज कार्यकर्ताओं ने नेतृत्व से अपनी शिकायत दर्ज कराई है। मीडिया में नाम ना छापने की शर्त पर कुछ कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह तो समर्पित कार्यकर्ताओं का अपमान है। शुक्रवार को राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र सिंह प्रदेश मुख्यालय के अंदर प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे तो बाहर दर्जन भर पुराने कार्यकर्ता अपना दुखड़ा रो रहे थे।
वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव की रिपोर्ट.