अनिल सिंह
: रामनगरी की अर्थव्यवस्था बदल रही है : यह तब की बात है, जब योगी आदित्यनाथ की सरकार आ चुकी थी। अयोध्या पहली बार 2017 में भव्य दिवाली मनाने की तैयारियों में जुटा हुआ था। मैं दीप प्रज्ज्वलन के आयोजन से छह दिन पूर्व अयोध्या पहुंचा था। सैकड़ों साल से उपेक्षित से पड़े अयोध्या में राम की पैड़ी को रंग-रोगन कर चमकाने की तैयारियां चल रही थीं और वहीं पर कुछेक मजदूरों और उनके कामों को देखने वाली दस बीस लोगों की भीड़ के अलावा कुछ भी नहीं था। गंदे-मटमैले पानी में राम की पैड़ी डूबी हुई थी। खाली पड़ी सड़कों पर इक्का-दुक्का लोगों का आवागमन छोड़ राम की नगरी बिल्कुल ठहरी हुई सी लग रही थी।
अलसाये शहर को देखकर ऐसा महसूस ही नहीं हो रहा था कि यह हिंदुओं के आस्था और मर्यादा की सीख देने वाले भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है। संगीनों के साये और दहशत के माहौल में जीने के आदी अयोध्यावासी इस तैयारी को देखकर आश्चर्यचकित नजर आ रहे थे। चेहरों पर विस्मय दिख रहा था, उन्हें विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि राम मंदिर मामले में बिना फैसला आये भी अयोध्या की तस्वीर बदल सकती है। उपेक्षा को अपनी नियति मान लेने वाले अयोध्यावासी इस बदलाव को सहज ढंग से नहीं ले पा रहे थे।

नया घाट की तरफ पहुंचा तो सड़क किनारे फूल माला का ठेला लगाये शिव प्रकाश, जिनसे बातचीत के बाद हमारी जान-पहचान हो गई थी, से यूं ही पूछ लिया कि सरकार बदलने से अयोध्या में कुछ बदलाव हुआ है? रौनक वगैरह बढ़ी है श्रीराम के नगरी की? शिव प्रकाश को तत्काल कोई जवाब नहीं सूझा। कुछ सेकेंड सोचने के बाद मायूस होकर बोले, ”भइया हम लोग तो उपेक्षा को ही अपना भाग्य मान लिये हैं। अयोध्या में विकास का कोई बड़ा काम पिछले कई सालों से नहीं हुआ है। सबको फैसले का इंतजार है। सरकारें भी उसी का इंतजार करते करते चली गईं।”
वो आगे कहते हैं, ”बगल में फैजाबाद की गलियां-सड़कें चमचमा रही हैं, अयोध्या की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं जाता है। श्रद्धालु तक नहीं आते। गोंडा-बस्ती के लोकल लोगों से ही किसी तरह अपनी रोजी रोटी चल रही है। बाहर से बहुत कम लोग आते हैं। देखने को कुछ है ही नहीं। शहर का रंग रूप भी ऐसा नहीं है कि कोई दुबारा लौटे, अब योगीजी आये हैं तो यही थोड़ा बहुत बदलाव दिख रहा है। वह पहले मुख्यमंत्री हैं, जो अयोध्या आते रहते हैं। अभी तो लग रहा है कि सब ठीक होगा, लेकिन आगे क्या होगा भगवान जाने?”

जब कारसेवकपुरम से होते हुए हनुमानगढ़ी की तरफ बढ़े तो सड़क के दोनों किनारे पुराने, जर्जर और मरम्मत के अभाव में छीजी-झड़ती धर्मशाला और आश्रम की दीवारें अयोध्या की दयनीयता की कहानी खुद-ब-खुद बयान कर रही थी। ऐसा लग रहा था कि यह नगर बिना किसी उद्देयश्य के बस दिन काट रहा है। हनुमानगढ़ी में गिने चुने श्रद्धालुओं की आमद तस्दीक कर रही थी कि रामनगरी के इतिहास से केवल औरंगजेब ने ही छेड़छाड़ नहीं की है बल्कि आजादी के बाद आई हुकूमत और हुक्मरानों ने भी सियासी लाभ के लिये हिंदू आस्था के इस महान विरासत को हाशिये पर डाल रखा है।
हनुमानगढ़ी के पास लड्डू की दुकान चलाने वाले समीर शर्मा ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा भी था, ”भाजपा की सरकारों में भी अयोध्या के विकास को लेकर कुछ खास नहीं किया गया। बाकी सरकारों के लिये रामजी की यह धरती वैसे ही अछूत ही रही है। श्रद्धालु आते हैं, लेकिन उनकी संख्या इतनी नहीं होती कि हम उससे होने वाली आमदनी से एक सम्मानजनक जीवन जी सकें।”

समीर से जब पूछा गया कि अब कोई बदलाव नजर आता है तो उन्होंने बताया, ”हां, योगीजी के आने के बाद कुछ तो बदला ही है, लेकिन अभी कुछ कहना जल्दबाजी है। पर अयोध्या में हलचल बढ़ी है। आगे तो बस उम्मीद कर सकते हैं। संन्यासी हैं तो इस पावन धरा का दर्द भी समझते होंगे। भला ही करेंगे।” समीर समेत कई और स्थानीय निवासियों से बातचीत के बाद यही अंदाजा लगा कि उन्हें अयोध्या में हो रहा बदलाव तो अच्छा लग रहा है, लेकिन भरोसा नहीं है कि यह कितने दिन तक चलेगा और कहां तक चलेगा। इस यात्रा के छह दिन बाद अयोध्या ने राम के वन आगमन के बाद पहली बार ऐतिहासिक और रोम रोम को पुलकित कर देने वाली दीपावाली देखी।
रौशनी एवं रंगों से जगमग अयोध्या, शानदार लाइटिंग और लाखों दीयों की लौ में जगमगाता सरयू का जल ऐसी मनमोहक छवि प्रस्तुत कर रहा था, जैसे किसी ने स्वर्ग को रामनगरी में उतार दिया हो। ऐसा अदभुत नजारा देखकर अयोध्यावासी हतप्रभ ही नहीं चमत्कृत भी हुए थे। इस आयोजन ने अयोध्या को जितना सुकून पहुंचाया उससे कई गुना ज्यादा दुखी राम विरोधी विचार रखने वाला वर्ग हुआ। वामियों के सोशल मीडिया वाल, कुछ अखबारों और चैनलों पर इसे बरबारी बताकर छाती पीटने का रुदन रामभक्तों के सीने में करार बन कर पिघलती रहीं। यह मरहम था, जो आजादी के सत्तर साल के दर्द पर असरकारी लग रहा था। और अब तो दीप प्रज्ज्वलन परंपरा बनता जा रहा है।

उस यात्रा के लगभग साढ़े तीन साल बाद जब 13 मार्च 2021 को अयोध्या की धरा पर पहुंचा तो सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह वही ठहरी हुई नगरी है, जो वर्ष 2017 में विकास के अभाव और सैलानियों की कम आमद से जूझ रही थी। चौड़ी सड़कें, बदलती गलियां, बढ़ती श्रद्धालुओं की भीड़ ने एहसास दिलाया कि अयोध्या बदल रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास से राम जन्मभूमि के निवासियों के जीवन में बदलाव के बीज पड़ चुके हैं। वह अयोध्या चल पड़ी है, जिसने पांच सौ साल घुटन भरी जिंदगी से गुजर कर यहां तक का सफर तय किया है।
नया घाट की तरफ बढ़ चला कि 2017 में मिले शिव प्रकाश से पूछा जाये इन चार सालों में उनकी जिंदगी कितनी बदल गई है, लेकिन वो कहीं दिखे नहीं। संभव हो कहीं और व्यवसाय करने बैठे हों। जिस सड़क पर पर कभी एकाध दुकानें दिखती थीं, उस सड़क पर कई दर्जन दुकानें आबाद हो चुकी थीं। कुछ खाने-पीने की तो कुछ धार्मिक वस्तुओं की। यह रोजगार और व्यस्तता किसी आंकड़े की दहलीज पर ना दिखें, लेकिन योगी के प्रयास ने कई लोगों के जीवन में रंग भर दिया है। अयोध्या के चेहरे पर छायी रहने वाली मायूसी कहीं दूर सरयू की गोद में समाती सी प्रतीत हुई। अयोध्या की रौनक वहां के बदलावों की कहानी सुना रही थी।
जब राम की पैड़ी की तरफ बढ़े तो वहां के बदलावों की कहानी सरयू के जल में अठखेलियां करती युवाओं की भीड़ छपाक-छपाक करते सुना रही थी। घुटने भर बहते सरयू जल में एक तरफ श्रद्धालुओं का स्नान और दूसरी तरफ बच्चों-युवाओं की अठखेलियां योगी आदित्यनाथ के विजन को प्रस्फुटित कर रही थीं। जिस राम की पैड़ी घाट की पहचान काई, जलकुंभी, घास और सड़ता हुआ जल था, वहां पर जिंदगी को मायने देती सीढि़यां मंत्रमुग्ध कर रही थीं। बहता जल अयोध्या की रवानगी बता रहा था। घुटने तक की गहराई में बहते जल में आनंद उठाती भीड़ अयोध्या के उत्साह और बदलाव का तस्वीर बना रही थी।

नया घाट के किनारे श्रद्धालुओं को अपनी सजी-धजी नाव में बैठाने को मोल भाव करते नाविकों और श्रद्धालुओं को देखना सुखद एहसास दे रहा था। एक नाविक राजा ने बताया, ”पिछले चार साल में बहुत बदलाव हुआ है। हम लोगों का एक साल कोरोना ने खराब कर दिया, लेकिन श्रद्धालुओं की आवक ऐसे ही बनी रही तो हमलोग पिछले साल का घाटा भी पूरा कर लेंगे। अब अक्सर भीड़ रहती है, जो स्नान विशेष के दिनों में और बढ़ जाती है।”
अयोध्या निवासी युवा रजत पांडेय कहते हैं, ”विकास की दृष्टि से देखा जाये तो योगी सरकार वह काम हो गये, जो कभी नहीं हुआ था। सड़कें चमचमा रही हैं। कुछ सड़कों का चौड़ीकरण हो रहा है। आजादी के बाद अयोध्या में बस अड्डा तक किसी सरकार ने नहीं बनाया था, योगीजी ने अयोध्या को बस अड्डा दे दिया। रेलवे स्टेशन के आसपास विकास और बदलाव जारी है। यह भी बड़ा सौभाग्य है कि पांच सौ सालों से लटके रामजन्म भूमि मामले का फैसला योगीजी के कार्यकाल में आया। यहां हिंदू-मुस्लिम सभी खुश हैं। लोगों के रोजगार धंधे में बरकत आ रही है।”
रजत युवा हैं और यहीं पैदा हुये हैं। बचपन से अयोध्या के ठहराव और बदलाव के अंतर को महसूस करते हैं। आचार्य वरुण महाराज कहते हैं, ”यह सौभाग्य है कि योगी महाराज हमारे मुख्यमंत्री हैं। वह जब से आये हैं अयोध्या की कीर्ति पताका को फहरा रहे हैं। उनके प्रयास से अयोध्या की पहचान विश्व स्तर पर बना रहे हैं। दीपोत्सव के जरिये जिस तरीके से उन्होंने राम आगमन को भव्य बनाया वह अकल्पनीय था। विदेशों के कलाकारों से रामलीला कराकर उन्होंने हिंदुओं का मन मोह लिया।”

वरूण महाराज अयोध्या में हो रहे बदलावों को महसूस करते हैं। वह मानते हैं कि यदि सरकार भाजपा की होती और मुख्यमंत्री कोई और होता तब भी अयोध्या इतनी जल्दी नहीं बदलती। योगी ने धर्म स्थापना के लिये जिस साहस के साथ काम किया है, वह अकल्पनीय है। वरूण महाराज कहते हैं, ”योगीजी जिस तरीके से 135 वर्ग किलोमीटर में अयोध्या को भव्य बनाने का सपना देखा है, वह मूर्त रूप लेने के बाद विश्व पटल पर स्थापित हो जायेगा।” अवधेश शुक्ला बीते दस सालों से रामलाल की सुरक्षा व्यवस्था की टीम में शामिल हैं।
वह कहते हैं, ”इस सरकार में अयोध्या में कई बड़े काम हुए हैं। बदलाव अभी जारी है।” हनुमानगढ़ी में प्रसाद की दुकान चलाने वाले भरत लाल गुप्ता कहते हैं, ”योगी-मोदी अवतारी पुरुष हैं। तभी उनके कार्यकाल में यह सौभाग्य मिला कि राम जन्मभूमि पर फैसला आया। योगी आदित्यनाथ की वजह से आज हनुमानगढ़ी और अयोध्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ आने लगी है। सुविधायें बढ़ने लगी है। हम योगी को फिर चुनेंगे। पांच सौ साल बाद यह सौभाग्य मिला है, जिसमें योगीजी चार चांद लगा रहे हैं।”

भरत लाल आगे कहते हैं, ”हमारे योगीजी आये दिन इस पावन धरती पर आते रहते हैं। इसके पहले मुख्यमंत्री रहते याद नहीं आता कि मायावती, मुलायम या अखिलेश श्रीराम की जन्मभूमि पर कभी कदम भी रखा हो। ईदगाह में जाने वाले लोग आज लोग मंदिर मंदिर घूम रहे हैं तो यह योगीजी की देन है।” यह आम अयोध्यावासी का दर्द है। उसे अब भी तकलीफ है कि राजनीति के चक्कर में उसकी अनदेखी की गई। यूपी में योगी सरकार को टक्कर देने का सपना देखने वालों को एक बार अयोध्या, काशी, मथुरा, विन्धाचल, प्रयागराज, गोरखपुर जैसे शहरों का चक्कर लगाकर आम लोगों से जरूर मिलना चाहिए।
योगी ने अपने प्रयासों से बताया दिया है कि धर्म को विकास के साथ जोड़कर भी राजनीति की जा सकती है। योगी ने बहुसंख्यकों के उस जख्म को दवा दी है, जो बीते सत्तर-पहत्तर सालों में नासूर बन गया था। भरत लाल कहते हैं, ”कोई योगी ऐसे ही नहीं हो जाता, उसके लिये साहस, फैसले लेने की क्षमता और उस पर अमल कराने की हिम्मत चाहिये होती है। अयोध्या केवल बदल ही नहीं रहा है बल्कि अब उस दर्द से बाहर निकल रहा है, जिसे औरंगजेब के बाद सेक्युलर सरकारों ने दिया था।”
लेखक अनिल सिंह ‘प्रहार लाइव’ एवं पाक्षिक पत्रिका ‘पूर्वांचल दस्तक’ के संपादक हैं.