अनिल सिंह
- पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी हो गये पसीने पसीने
- बीसों जगह जनता ने किया पूर्व सांसद का स्वागत
लखनऊ। मोदी और योगी सरकार को समूचे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और उसके नेता ट्विटर और फेसबुक पर घेर रहे हैं। कुछ नेता वीडियो बयान जारी करके सरकार को धूल चटा रहे हैं, पर जमीन पर सब सपाई फीलगुड कर रहे हैं। चंदौली एकमात्र ऐसा जिला है, जहां सपाई सड़क पर उतरकर केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ बिगूल फूंके हुए हैं। किसान न्याय मार्च आंदोलन के चलते पूर्व सांसद, विधायक समेत कई लोगों पर जिला प्रशासन ने मुकदमा भी दर्ज करा दिया है।
दरअसल, केंद्र के किसान विरोधी कानून के खिलाफ 12 अक्टूबर को पूर्व सांसद रामकिशुन यादव ने किसान न्याय मार्च निकालने ऐलान किया था। इस मार्च को सपा के जिला कार्यालय मुगलसराय से चंदौली मुख्यालय पहुंचना था, लेकिन आखिरी समय में आपसी खींचतान सामने आ गई। जिले के दूसरे सपा नेताओं को लगा कि कहीं इस मार्च का श्रेय राम किशुन यादव ना लूट ले जायें तो उन्होंने अपने अपने इलाके से मार्च निकालकर मुख्यालय पहुंचना तय किया।
सकलडीहा विधायक सकलडीहा से, सैयदराजा के पूर्व विधायक सैयदराजा से तथा चकिया की पूर्व विधायक पूनम सोनकर चकिया से मार्च निकालकर मुख्यालय पहुंचने का निर्णय लिया। पदयात्रा को देखते हुए जनपद भर के सैकडों सपाई रामकिशुन के आह्वान पर 11 अक्टूबर को ही मुगलसराय पहुंच चुके थे। यात्रा को देखते हुए जिला एवं पुलिस प्रशासन ने भी चाक चौबंद व्यवस्था कर रखी थी, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय मामले से निपटा जा सके।
जिले के चारो विधानसभा से पदयात्रा शुरू हुई। किसान न्याय मार्च में जब पैदल चलने की बारी आई तो पूरे जनपद से देखा कि जननेता और धननेता के बीच क्या अंतर होता है! सकलडीहा विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव कुछ दूर पैदल चलने का रस्म निभाने के बाद वाहन पर सवार हो गये। चकिया की पूर्व विधायक पूनम सोनकर भी इसी तरीके से वाहन से और पैदल चलते चंदौली जिला मुख्यालय पहुंचीं। जबकि सैयदराजा के पूर्व विधायक थोड़ी दूर चलते के बाद बेहोशी के आलम में पहुंच गये।
बताया जा रहा है कि कुछ किलोमीटर चलने के बाद ही पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्ल्यू को चक्कर आ गया। जनता के लिये संघर्ष करने के लंबे लंबे वादे करने वाले पूर्व विधायक तीन-चार किलोमीटर भी धूप-गर्मी से संघर्ष नहीं कर पाये और बेहोश हो गये। चक्कर आने के बाद उन्हें वातानुकूलित वाहन में लिटाकर राहत दिलाई गई। होश वापस लौटा तो पदयात्रा छोड़ ट्रैक्टर पर सवार हो गये। हांफते-हांफते सभा खतम होने के आसपास मुख्यालय पहुंचकर केवल उपस्थिति दर्ज कराई।

इधर, राम किशुन यादव कड़ी धूप में पैदल चलते हुए मुख्यालय पहुंचे। जगह-जगह रामकिशुन यादव के स्वागत के लिये सपा कार्यकर्ता तथा आमजन खड़े थे। पंद्रह किलोमीटर की यात्रा में बीसों जगह उनका स्वागत किया गया। नेताओं के चक्कर आने की घटना पर भी लोग चुटकी लेते रहे कि कहां पैसठ साल के जवान और कहां 45-50 साल के बुजुर्ग! इस न्याय मार्च ने बता दिया है कि चंदौली जिले में अगर किसी पार्टी के पास कोई जमीनी और जुझारू नेता है तो वो केवल रामकिशुन यादव हैं।
पिछले छह सालों से पदविहीन होने के बावजूद रामकिशुन यादव ने जिस तरीके से जमीन पर काम करके चंदौली में समाजवादी पार्टी को मजबूत बनाकर रखा है, वह फेसबुक और ट्वीटर वाले सपा नेताओं के लिये नजीर है। रामकिुशन के बाद अगर चंदौली में कोई और सपाई है, जिसे लोग नेता मानते हैं तो वह हैं प्रभुनारायण सिंह यादव, लेकिन अपने विधानसभा से बाहर उनकी भी पकड़ पार्टी में कमजोर है। रामकिशुन यादव जिले में एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिनकी स्वीकार्यता पूरे जिले में है, और इन्होंने किसान विरोधी बिल के खिलाफ आंदोलन चला रखा है। लगातार जनता के संपर्क में हैं।
एक तरफ जहां वर्तमान सांसद एवं केंद्रीय मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय पिछले नौ महीने से क्षेत्र से बाहर हैं और जनता के दुख दर्द से कोई वास्ता नहीं है, वहीं दूसरी तरफ पूर्व सांसद रामकिशुन लगातार जिले में सक्रिय हैं। आम जनता का दुख दर्द बांटना हो या कार्यकर्ताओं की कोई समस्या हो पूर्व सांसद रामकिशुन लगातार उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं। यह भी प्रदेश का दुर्भाग्य है कि जनता के बीच रहने वाले नेताओं की पीढ़ी अब अतीत होती जा रही है। जननेताओं की जगह धननेताओं की बढ़ती हनक राजनीति और जनता दोनों के लिये चिंताजनक है।