मनोज श्रीवास्तव
: नमाज इस्लाम का हिस्सा है पर मस्जिद का नहीं : लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव एवं बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने मीडिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह चाहती है कि मुख्य मुद्दे पर बहस ना हो और ये मुद्दा साइडलाइन हो जाए इसलिए इसको इतना सनसनी बनाया जा रहा है। इसमें कुछ होना नहीं है।
उन्होंने कहा कि 1994 के इस्माइल फारूखी के याचिका में नमाज को लेकर जो विषय संदर्भित किया जा रहा है, वह श्रीराम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद केस में कहीं है ही नहीं, इसलिए इसमें जो भी फैसला होगा, उससे इस मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
जब जिलानी से यह सवाल किया गया कि क्या आपको लगने लगा कि राम मंदिर के निर्माण के लिए माहौल बनाने की तैयारी है तो उन्होंने कहा कि ऐसा मामला नहीं है, सु्प्रीम कोर्ट जो बहस सुनता है फैसला उसी पर करता है। और अभी तक न्यायालय कानून से चल रहे हैं। सरकार भले ना चल रही हो, लेकिन न्यायालय कानून से ही चल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सु्प्रीम कोर्ट ने मस्जिद में नमाज को इस्लाम में अनिवार्य नहीं बताने वाले अपने पूर्व के फैसले को बरकरार रखते हुए इसे बड़ी बेंच में भेजने से इनकार कर दिया है। श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी महंत नृत्य गोपाल दास महाराज ने कहा मंदिर निर्माण होकर रहेगा, यह धीरे-धीरे मजबूत होता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय मंदिर निर्माण मे बाधक बने लोगों को अक्स दिखाने वाला है। अब स्वतः इस विवाद से हटकर मंदिर निर्माण मे सहयोगी बन जाना चाहिए।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास सदस्य महंत सुरेश दास ने कहा नमाज इस्लाम का हिस्सा है पर मस्जिद का नहीं, परन्तु देवी-देवताओं की मूर्ति मंदिर का अटूट हिस्सा है, जिसे अब मुस्लिमों को स्वीकार कर लेना चाहिए। मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास महाराज ने कहा सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय मंदिर निर्माण के मार्ग को बल प्रदान करेगा।
वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव की रिपोर्ट.