अनिल सिंह
- सपा नेता की कंपनी पर खेल कराने का आरोप
- कमाने के लिये लाशों को भी नहीं छोड़ रहे अधिकारी
- 250 रुपये की अनब्रांडेट किट की 1960 रुपये में खरीद
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भ्रष्ट लोगों के खिलाफ लगातार कार्रवाई किये जाने के बावजूद इनका मनोबल कम नहीं हो रहा है। यूपी में ऐसा लग रहा है कि योगी आदित्यनाथ अगर भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई कर दें तो अस्सी फीसदी सरकारी विभाग खाली हो जायेंगे। ऐसे ही एक भ्रष्टाचार का मामला पुलिस विभाग में किये जाने का आरोप सामने आया है, जिसमें खेल करके 246 रुपये से लेकर 600 रुपये में उपलब्ध पोस्टमार्टम किट को 1960 रुपये में खरीदे जाने का आरोप है।
बताया जा रहा है कि एक सपा नेता से जुड़ी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिये विभागीय अधिकारियों ने जेम पोर्टल के जरिये यह खेल किया है। जिस दाम पर पुलिस लॉजिस्टक विभाग ने ब्रांडेड आइटम खरीदा, अब उसी दाम पर अब अनब्रांडेड की खरीद कर बड़ा घोटाला किया गया है। विभागीय अधिकारी एवं ठेकेदार कंपनी की मिलीभगत से यह खरीद टेंडर उस कंपनी को दे दिया गया, जिसे इस क्षेत्र में काम करने का अनुभव ही नहीं था। इस घपले की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई है।
एडीजी लॉजिस्टिक बीके मौर्या इस तरह के आरोपों से इनकार करते हुए शिकायत मिलने पर जांच की बात कह रहे हैं, परंतु जो जानकारी सामने आ रही है, उसके अनुसार उत्तर प्रदेश पुलिस के लॉजिस्टिक विभाग ने 20 दिसंबर 2019 और 20 फरवरी 2020 में क्रमश: 49131 तथा 75745 पोस्टमार्टम किट खरीदने का टेंडर जेम पोर्टल पर निकाला। अन्य कंपनियों को दरकिनार करके बाइट्स एंड बाइट्स नाम की उस कंपनी को आपूर्ति का जिम्मा सौंप दिया गया।
यह आईटी कंपनी थी, जिसके पास इससे पहले पोस्टमार्टम किट आपूर्ति करने का कोई अनुभव नहीं था, परंतु सरकारी धन में खेल करने के लिये पुलिस विभाग ने यह ठेका इस कंपनी को दे दिया। लगभग 25 करोड़ के उक्त दोनों टेंडर में कंपनी ने ब्रांडेड सेंट जॉन्स फर्स्ट एड किट की आपूर्ति की। इसमें दिलचस्प बात यह है कि इस तरह मेडिकल किट खरीदने का काम पुलिस विभाग की फोरेंसिक साइंस लैब करती है, क्योंकि उसके पास इस काम का अनुभव है, लेकिन इस बार खरीद लॉजिस्टक विभाग ने की।
उक्त दोनों में मोटी रकम उगाहने के बाद पुलिस लॉजिस्टिक विभाग ने 8 अक्टूबर 2020 को फिर एक बार 75939 पोस्टमार्टम किट का टेंडर जेम पोर्टल पर दिया। आरोप है कि इस बार बाइट्स एंड बाइट्स ने छह कंपनियों का पूल बनाकर टेंडर डाला। इस बार खेल यह किया गया कि पिछली दो बार की आपूर्ति में जो ब्रांडेड आपूर्ति की शर्त थी, उसे दरकिनार कर दिया गया। इस परिणाम यह हुआ कि उक्त कंपनियों को कम दामों पर खरीदी गई किट को महंगे दाम पर आपूर्ति कर मोटा रकम उगाहने का मौका मिल गया।
मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत में वेंदात इनफोटेके औरंगाबाद ने आरोप लगाया है कि सपा नेता की कंपनी ने पुलिस के लॉजिस्टक विभाग से सांठगांठ कर यह पूरा खेल रहा है। बाइट्स एंड बाइट्स को आगे कर उसने सरकार को 13 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाया है। बताया जा रहा है कि जेम पोर्टल पर ही जो अनब्रांडेड पोस्टमार्टम किट 250 रुपये में उपलब्ध था, उसे इन कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिये जेम पोर्टल के जरिये ही 1960 रुपये में खरीद का योगी सरकार को चूना लगाया गया।
इस संदर्भ में कंपनी ने जेम पोर्टल पर भी अपनी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उसे गोलमोल जवाब दे दिया गया। इस संदर्भ में जब एडीजी लॉजिस्टिक बीके मौर्या से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह खरीद जेम पोर्टल के माध्यम से ही की गई हैं। 2000 रुपये तक खरीद के ऑथराइज्ड था, इसी के हिसाब से खरीद की गई है। जेम्स पर कोई भी अप्लाई कर सकता है, हमने रिवर्स ऑप्शन के माध्यम से खरीदा गया है। इस पर कोई भी कंपनी आ सकती है, अगर किसी को कोई शिकायत हो तो शिकायत कर सकता है, उसकी जांच कराकर कार्रवाई की जायेगी।
इसी तरह के पोस्टमार्टम किट मामला घोटाला करने का आरोप महाराष्ट्र में बीएमसी पर लगा था। बीएमसी ने कोविड के दौरान 250 से लेकर 1200 में मिलने वाले 2200 किट को खरीदने के लिये 6719 रुपये दिये थे। एंटी करप्शन एक्टिविस्ट अंजली दमानिया के ट्वीट के बाद महाराष्ट्र सरकार ने 3000 अन्य बॉडी बैग टेंडर को निरस्त कर दिया था।