एसबी यादव
: चुपचाप करते हैं गरीबों की सेवा : कई बच्चों की पढ़ाई में कर रहे हैं मदद : चंदौली : आज का दौर है कि तीन कंबल बांटने में तेरह लोग खर्च होते हैं, और सोशल मीडिया पर फोटो डालकर वाहवाही लूटते हैं, किन्तु इस आत्ममुग्धता के विषमकाल में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो चुपचाप सेवाभाव से लोगों की मदद करते जाते हैं, प्रचार-प्रसार से कोसों दूर रहते हुए। ऐसे ही एक शख्स का नाम है सतीश जिंदल, जो समाज सेवा को दिखावे का नहीं बल्कि भगवान का काम मानते हैं।
मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले और व्यवसाय के चलते बीते चार दशक से मुगलसराय में बस जाने वाले सतीश जिंदल को समाजसेवा विरासत में मिला है। माता-पिता से मिले शिक्षा का ही असर है कि सतीश जिंदल आत्ममुग्ध समाजसेवियों की तरह हो हल्ला कर मदद करने की बजाय चुपचाप तमाम लोगों के जीवन में रंग भर रहे हैं। उनका भरोसा बन रहे हैं।

हरिशंकरपुर के रहने वाले तीन बच्चे मां-बाप के अचानक निधन होने से अनाथ हो गये। इसकी सूचना कहीं से सतीश जिंदल को मिली। उन्होंने आठ-नौ सालों तक बच्चों का पूरा खर्च उठाया। उनको स्कूल भेजा। उन्हें काबिल बनाया। ये बच्चे आज अपने पैरों पर खड़े हैं। इन बच्चों ने जब मना किया तब जाकर इन्होंने मदद करना बंद किया। कई बच्चों की फीस भी भरते हैं।
तीन अनाथ बच्चों की जिंदगी संवारने के बाद सतीश जिंदल दुलहीपुर के तीन अनाथ बच्चियों के लालन-पालन का खर्च उठा रहे हैं। इन्हें चिंता है इन बच्चियों के बेहतर भविष्य की। सतीश जिंदल के इस नेक कार्य की जानकारी भी बाहर नहीं आती, अगर उनके एक सहयोगी ने इस बारे में बताया नहीं होता। सतीश चुपचाप सेवा करने को ही अपना धर्म मानते हैं।
इसी कड़ी में उन्होंने श्री सेवा सामाजिक संस्था के जरिये एक निशुल्क डिस्पेंसरी की शुरुआत की है, जिसके वह अध्यक्ष हैं। इस डिस्पेंसरी पर प्रतिदिन गरीबों को चिकित्सकीय सुविधा मिलेगी। उन्हें मुफ्त सलाह और दवा भी दी जायेगी। जिंदल अपने डाक्टर मित्रों के सहयोग से इस डिस्पेंसरी की शुरुआत की है। यहां प्रतिदिन तीन घंटे अलग-अलग रोग विशेषज्ञ डाक्टर बैठेंगे और गरीबों को देखेंगे।
इस डिस्पेंसरी में नगर पालिका परिषद के चेयरमैन संतोष खरवार भी सहयोग करेंगे। सतीश जिंदल कहते हैं कि सेवा भाव ऐसा होना चाहिए कि एक हाथ करे तो दूसरे को पता ना चले। समाज में बहुत लोग ऐसे होते हैं, जो बिना सामने आये सेवा के लिये संसाधन देना चाहते हैं। ऐसे ही 51 मित्रों को जोड़कर श्री सेवा सामाजिक संस्था की शुरुआत की गई है, जो गरीबों की सेवा करेगी।
उल्लेखनीय है कि सतीश जिंदल इसके पहले ही भी चेतना संस्था से जुड़कर लॉकडाउन के दौरान सैकड़ों लोगों को राशन और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया था। वह कहते हैं, ”हमारी कोशिश है कि लोगों की मुश्किलों में उनके साथ खड़े रहें। अगर हम चंद लोगों की परेशानियों में खड़े होकर उनका भरोसा बन सके तो यही भगवान की सच्ची सेवा होगी।” उम्मीद है सतीश जिंदल के सेवाभाव को देखकर कुछ और समाजसेवी गरीबों की जिंदगी में फर्क पैदा करने की प्रेरणा लेंगे।
सतीश जिंदल इस सेवा में अपने मित्रों के सहयोग को याद करना नहीं भूलते हैं। वो कहते हैं कि उनके कई मित्र हैं, जो इस काम में कंधा से कंधा मिलाकर साथ दे रहे हैं। वह इन मित्रों के सहयोग से ही लोगों की मदद कर पाते हैं। मित्र मुझ पर भरोसा करते हैं, तभी हम समाज के लिये कुछ कर पाते हैं। लॉकडाउन में भी इन मित्रों के सहयोग की बदौलत हम लोगों की मदद करने में समक्ष रहे।