मनोज श्रीवास्तव
लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष भाजपा डा. महेंद्रनाथ पांडेय दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपाध्यक्ष अमित शाह के साथ दिल्ली में बैठक कर चुके हैं, लेकिन इस बैठक का असर राजधानी लखनऊ में महसूस की गई है। कर्नाटक का मामला निपटने के बाद यूपी सरकार के मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों की धुकधुकी बढ़ी हुई है। सबसे ज्यादा असुरक्षित वह मंत्री और पदाधिकारी महसूस कर रहे हैं, जिनका काम किसी भी स्तर पर संतोषजनक नहीं रहा है।
आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री और पार्टी पदाधिकारी बाहर होने की आशंका से घबराए हुए हैं, वह संभावित दरों पर माथा टेक रहे हैं, जहां से उनको राहत मिल सकती है। योगी मंत्रिमंडल में गलत कारणों से सुर्खियां बटोरने वाले मंत्री ज्यादा परेशान हैं, इनमें अनुपमा जायसवाल, धर्मपाल सिंह, रमापति शास्त्री, अतुल गर्ग, राजेंद्र सिंह उर्फ मोती सिंह, स्वाति सिंह, स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेता शामिल हैं।
दूसरी तरफ संगठन में उपाध्यक्ष सुधीर हलवासिया, पदमसेन चौधरी, नवाब सिंह नागर, प्रदेश मंत्री धर्मवीर प्रजापति, शंकर गिरी, सुब्रत पाठक जैसे नाम शामिल हैं। प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा सांसदों को गंगा स्वच्छता अभियान, शौचालय,गोद लिए गए गांव परेशान किये हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि चार साल काम करेंगे और एक पूरा साल चुनाव की तैयारी करेंगे। अब मोदी सरकार को गंगा स्वच्छता अभियान, शौचालय और गोद लिए गए गांव नासूर की तरह परेशान किए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार अपनी नाकामी और फेल हो चुकी इन योजनाएं का ठीकरा फोड़ते हुए सांसदों का टिकट काटने का बहाना बनेंगी।वहीं दूसरी तरफ पार्टी छोड़ने वालों को भी इन्ही असफलताओं को बहाना बनाने का होमवर्क कर रहे हैं। अब जो इन योजनाओं को सफल बताने में पारंगत साबित होगा, वह पुनः टिकट प्राप्ति में पूर्व होने से बच जाएगा।