: भ्रष्ट अधिकारियों की कुंडली बाचने की तैयारी : लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री अधिकारियों को जनहित का काम ईमानदारी से करने का नसीहत देते चले आ रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को कई बार चेतावनी भी दी कि सुधर जाएं, लेकिन लूट के आदी हो चुके यूपी के अधिकारी सीएम की बातों को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं हैं। जनता के साथ भी उनका शर्मनाक व्यवहार लगातार सामने आता रहता है।
अधिकारियों के रवैये से आजीज मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के समस्त दागी अधिकारियों की फाइल सतर्कता और आर्थिक अपराध शाखा से तलब की है। बताया जा रहा है कि इसमें नौ दर्जन से ज्यादा आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, पीपीएस अधिकारियों के मामले शामिल हैं। इन कैडर के अतिरिक्त अधिकारियों की लिस्ट जोड़ दी जाए तो यह ढाई तौ तक पहुंच सकती है। मुख्यमंत्री ने सभी दागदार अधिकारियों की फाइल संबंधित विभागों से तलब की है।
समझा जा रहा है कि इस संदर्भ में बुलाई गई बैठक में मुख्यमंत्री कोई कठोर कदम उठा सकते हैं। कई अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति भी शासन स्तर से लंबित है। माना जा रहा है कि फाइलें देखने के बाद मुख्यमंत्री इस पर भी निर्णय ले सकते हैं। मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन की स्वीकृति भी प्रदान की जा सकती है। सीएम के इस कदम से दागी अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
सीएम द्वारा बुलाई गई इस बैठक में मुख्य सचिव के साथ प्रमुख सचिव गृह, अभियोजन, सतर्कता विभाग तथा आर्थिक आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारी भी शामिल रहेंगे। समझा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस को लेकर बड़ा संदेश देने की कवायद की जा सकती है। अक्सर आरोप लगते रहे हैं कि सपा-बसपा के शासन में लूट मचाने वाले अधिकारी योगी सरकार में उसी नक्शेकदम पर चल रहे हैं।
कई बड़े आईएएस और आईपीएस अधिकारी हैं, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें लंबित हैं। पीसीएस और पीपीएस अधिकारियों के खिलाफ भी कई जांचें लंबित हैं। राशन कार्ड घोटाला, खनन, शिक्षा, पुष्टाहार, बिजली विभाग में कार्यरत रहे कई अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई सालों से लंबित है। कई फाइलें गृह विभाग में अटकी पड़ी हैं या फिर अटका दी गई हैं। मुख्यमंत्री ने अब भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करके उन अधिकारियों को सबक देना चाहते हैं, जो सरकार की मंशा के विपरीत काम कर रहे हैं।